Aujhali Naraj Hai | औझली नाराज़ हैं!
औझली नाराज़ हैं मंद-मंद छांव में तुनक-झुनक के बैठ गई क्यों आ गया मैं गांव में? छांव उसकी छीन के गांव मैं लाया नहीं बेसुरा भी गीत कोई बिछोह का गाया नहीं नन्ही-मुन्नी औझली किससे फिर नाराज़ हैं?
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एक जरा सी मिट्टी गीली थी।
एक बीज कहीं पर भीग गया।
हुआ अंकुरण, पत्ती निकली।
और आसमान में फ़ैल गया।
फिर एक के कैसे, हुए हजार।
ये दुनिया क्यों न अचंभित हैं?
भारत को चुनना होगा अपना भविष्य- शिक्षा नीति का पुनर्निर्माण!
आज भारत एक ऐसे स्थान पर है जहां उसे अपनी शिक्षा व्यवस्था के पुनर्निर्माण की जरूरत है। भारत की हंसती-खेलती शिक्षा व्यवस्था जिसने सैकड़ो ऋषियों और योद्धाओं को गढ़ा। एसी शिक्षा व्यवस्था जिसने भारत के चरित्र को बुना। उस शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करके जो नुकसान गोरों ने किया था आज हम उसकी भरपाई कर सकते हैं। आज हमें लिपिकों की नहीं योद्धाओं की जरूरत है। योद्धा जो बेखौफ आगे बढ़ सकें। योद्धा जो नये भारत को गढ़ सकें। भारत आज घुटनों पर नहीं है। वह अपने अच्छे-बुरे का फैसला खुद कर सकता है। बस भारत के नेताओं को ये चुनना होगा कि वो भारत को किस राह पर ले जाना चाहते हैं। एक राह है दबे-कुचले इतिहास की। एक राह है चुनौती की, प्रकाश की। चुनाव आपका है। चुनाव आपका रहेगा। जय हो!
टेढा-मेढा अष्टावक्र!
चला सूर्य साधने।
वाह रे वाह! विद्वान सभा
वो खिलखिलाकर हँसता है।
जनक सभा के विद्वानों को
अभी हाड़-मांस ही दिखता है।
है कोई जो देख ले मुझको?
या यूं ही मुझ पर हंसता है।
अभी रात का घिरना बाकी है।
और एक परिन्दा ना लौटा।
सुरज ढलते-ढलते पूछता है।
मैं आज यहीं सो जाता हूं।
तुम चुटकी मार जगा देना।
कल यहीं उदित हो जाऊंगा।
दुनिया का क्या ये पागल है।
इसे दिशा भ्रम ही समझेगी।
जब पड़ी जरुरत विद्या की
तो नये-नये हैं शोध किये।
मूर्त बनाकर विद्या सीखी
मिट्टी के गुरू से ज्ञान लिया।
बिना घाव के श्वान को बींधा
अद्भुत, अद्वितीय काम किया।
निस्वार्थ इतने की मत पूछो
झट काट अंगूठा दान किया।
If you are a manager or an employer you have a big responsibility on your shoulders. Responsibility to provide people with an environment where they can blossom like flowers, shine like stars and perform like achievers. An environment where positive vibrations flow like ‘The River of Ganges’. An environment where the people are spread like jewels on the unexplored beaches. An environment where everyone just outperforms each other and the old mindset managers stand there flabbergasted in disbelief, not believing their own eyes. Welcome to the land of blessed people. Welcome to the land of seekers! Seekers who know that “they do not know”. So, they seek, taking the help of whatever that comes in their way. They seek and reach the new heights which are not known to the modern corporate world. New heights of success which multiplies in the form of smiles on the faces of people who work for them. If you have had a chance to meet such people you know the vibrations that flow in the environment around them. You just see their wide smile faces and surrender yourself to the source of creation.
रेत का महल है मेरा
रेत का है घर।
रेत की है मंजिल मेरी
रेत की डगर।
रेत का है इष्ट मेरा
रेत का महबूब है।
रेत की है दुनिया सारी
महल चौबारे अटारी।
थोड़ी मीठी थोड़ी खारी
ऊंट की सी ये सवारी।
Read Moreदेखते ही कोई अपना सा लगता है।
अपनी सी खुशबू लिए
तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमता है।
मोह ही है शायद?
पर जीवन फूट रहा है कहीं।
नयी पत्तियां नयी कोंपलें और
नयी टहनियां निकल रही हैं कहीं।
जादू सी उमंग लिए तरंग बह रही हैं।
हवा में कुछ घुल गया है शायद।
मुस्कुराहट कहां से आ गई यह?
Read Moreजब चरण यान के पड़े चांद पर
तो सारी दुनिया डोल गयी।
भारत तो आखिर भारत हैं
वो एक सांस में बोल गई।
विकसित भारत का शंखनाद
लो आज मैं अब ही करता हूं।
धरती की ना बात करो
मैं चरण चांद पर धरता हूं।
सिंहनाद यह सिंहनाद हैं
तुम होले-होले सुन लेना।
Read Moreतू मेरा गुरूर है
होंसला रख आग में।
अरूण-उदय ना दूर है
होंसला रख रात में।
गर्म-गर्म आग थी
आग थी वो जल गई।
काली-काली रात थी
रात थी वो ढल गई।
फूटेगा प्रकाश अब
कालिमा को फोड़ कर।
Read Moreक्या आपकी टीम आपको अपना नेता मानती है? क्या उन्होंने अपनी प्रॉब्लम कभी आपके साथ शेयर की हैं? क्या उन्होंने अपने प्रोफेशनल और पर्सनल मसलों को सॉल्व करने के लिए आपकी सहायता मांगी है? क्या आपने कभी उनकी सहायता की है? यदि इन सब सवालों का जवाब "हां" है तो आप हैं एक सच्चे मैनेजर। तो आप हैं एक सच्चे नेता। तो आप हैं एक सच्चे गुरु। और अगर इन सवालों का जवाब "नहीं" है तो हम आपके काम आ सकते हैं। आपके मुद्दे-मसलों को सुलझाने में आपकी सहायता कर सकते हैं। आपके लोगों को कैसे प्रभावित करें इसका रहस्य समझा सकते हैं।
औझली नाराज़ हैं मंद-मंद छांव में तुनक-झुनक के बैठ गई क्यों आ गया मैं गांव में? छांव उसकी छीन के गांव मैं लाया नहीं बेसुरा भी गीत कोई बिछोह का गाया नहीं नन्ही-मुन्नी औझली किससे फिर नाराज़ हैं?
Read moreबींध डालो वक्ष मेरा शर ये सिर के पार कर दो तलवार-भाले कम पड़े तो पत्थरों से वार कर दो चीर डालो मेरा उदर ये अंतड़ियां बस बाहर कर दो
Read moreएक समय था जब होते थे दो ही काल भूत और वर्तमान भूत से लेते थे प्रेरणा और वर्तमान में झोंकते थे प्राण
Read moreरात के दो बजे हैं। कागजों की रूह को मंटो की कलम यहां-वहां से छील रही है। तीन दिन की नींद उसकी पलकों को बार-बार झुका रही है। पर मंटो सो नहीं सकता क्योंकि कहानी अधूरी है अभी तक। सुराही सी गर्दन को चाहिए हीरों का हार।
Read moreएक वैज्ञानिक खोज कर रहा था कि क्या निर्जीव वस्तुओं में भी उसी प्रकार से जीवन का स्पंदन होता है जैसे सजीवों में होता है। वह सारी जिंदगी उस स्पंदन को खोजता रहा पर उसे सफलता हाथ नहीं लगी। उसने निष्कर्ष निकाला कि ऐसा कुछ नहीं होता। निर्जीव वस्तुएं केवल निर्जीव होती है और उनमें कोई स्पंदन संभव नहीं है।
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